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1800-102-2727यह एक निबन्ध है, जिसको एलेक्स एम जॉर्ज ने लिखा है। इसमें उन्होंने बाँस से जुड़ी सारी जानकारी दी हैं। वैसे भारत में बाँस बहुत ज्यादा मात्रा में पाया जाता है, इसी वजह से बहुत सारे परिवार अपनी रोजी-रोटी कमाने के लिये बाँस से ही जुड़ा कोई न कोई काम करते हैं। बाँस भारत के लगभग सात राज्यों में पाया है और वे सातों राज्य उत्तर व पूर्व के ही हैं। यहाँ के लोग बाँस से तरह-तरह के समान बनाते है, जिनमें कुछ खास चीज़े है - खिलौनें, टोकरी, सजावट के सामान, ज़मीन पर बिछाई जाने वाली चटाई आदि। इन्हीं सभी चीजों के नामों को पढ़कर आप अंदाजा लगा सकते हैं कि बाँस से कई तरह की वस्तुएं बन सकती हैं और न जाने कितने ही लोगों के घरों में उनकों बेचने से दो वक़्त का चूल्हा भी जल सकता है। जो भी लोग बाँस से जुड़े काम करते हैं, वे एक से तीस साल तक के बाँस को जुलाई से अक्टूबर तक चार महीनों में ढूढ़ते है क्योंकि इस समय उत्तर और पूर्व भारत में बारिश बहुत अधिक मात्रा में होती है, इस वजह से इन लोगों के पास उस समय कोई काम भी नहीं होता है, इसलिये वे सभी लोग बाँस इकट्ठा कर लेते हैं फिर मोटे, पतले, छोटे आदि सभी बांसों को उनके गुण व किस बाँस की किस वस्तु को बनाने में जरूरत पड़ेगी इस आधार पर बाँट लेते हैं। इन सभी कामों को करने के बाद सामान बनाने की क्रिया शुरू कर देते है, असम में जिन ख़च्चियों से मछलियों को नदियों से पकड़ा जाता है वे भी बाँस से ही बनते हैं और उन्हें बनाने में बहुत ज्यादा मेहनत लगती है ।
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