यह एक निबन्ध है जिसे हेलेन केलर ने लिखा है। वे बचपन से ही अंधी थी और चल फिर भी नहीं पाती थीं, लेकिन उनके मन में नई- नई चीज़ों के बारे में जानने की बहुत इच्छा थीं। उन्होंने कभी-भी अपनी कमजोरी के कारण किसी को अपना दुःख नहीं सुनाया क्योंकि उन्हें ऐसा लगता था कि उनके अंदर कई कमियां हैं। पर कभी-भी इन कमियों ने उनको किसी भी चीज़ को सीखने से रोका नहीं वे फूलों की पंखुड़ियों को छूकर बहुत खुश होती है उन्हें प्रकृति से बहुत प्यार था। वे अक्सर ही अपने दोस्तों के साथ नयी जगहों पर घूमने जाया करते थीं और जब वे वहाँ से लौटकर आते थे तो हेलेन केलर उनसे हमेशा यह सवाल पूछती थी कि उन्होंने वहाँ क्या देखा और उनके दोस्तों का जवाब हमेशा एक समान होता था कि कुछ खास नहीं। अपने दोस्तों से हमेशा एक ही तरह का जवाब सुनकर अब हेलेन भी थक गईं थीं और सोचती थीं की इन सभी लोगों के दो आँखे हैं, वे चलने-फिरने में भी सक्षम है, फिर भी वे अपने आसपास की चीज़ों को और प्रकृति की खूबसूरती को अच्छी तरह से नहीं देखते। वे अपने चारों ओर की प्रकृति को अनदेखा करते है और इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए उन्हें एक और बात समझ में आई कि जो लोग शारीरिक रूप से स्वस्थ होते हैं वे प्रकृति के प्रति असंवेदनशील होते हैं। वे अगर कहीं घूमने भी जाते हैं तो खुद में इतना खोये रहते हैं कि वे न तो पर्यावरण को देखते हैं और न ही उसकी खूबसूरती को समझते है ।
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