Call Now
1800-102-2727यह कहानी अनिल की छोटी बहन दिव्या से जुड़ी है जो कि शारीरिक रूप से बहुत कमजोर होती है। लेकिन अभी कुछ दिनों से उसे हर वक्त थकान रहती है और उसे भूख कम लगना शुरू हो जाती है। दिव्या को चिकित्सालय ले जाया जाता है, जहाँ पर डॉक्टर उसे देखकर रक्त की जांच के लिए कहते हैं। अस्पताल में अनिल की जान-पहचान की डॉक्टर दीदी थी, उन्होंने दिव्या की रक्त जांच के लिए उसकी ऊंगली से कुछ रक्त लेकर एक छोटी-सी शीशी में डाली और उसके बाद उसी को स्लाइड पर लगा दिया। उन्होंने अनिल को दिव्या की रिपोर्ट को अगले दिन ले जाने के लिए कहा। अगले दिन जब अनिल अस्पताल पहुंचता है तो उसे ज्ञात होता है कि दिव्या को एनीमिया है। अगर वो कुछ दिन दवा लेगी तो वो ठीक हो जाएगी। अनिल को एनीमिया के बारे में कुछ ज्ञात नहीं होता है तो वह उत्सुकतावश अपनी डॉक्टर दीदी से इसके बारे में जानने के लिए कहता है।
डॉक्टर दीदी उसे बताती हैं कि एनीमिया के लिए उसे रक्त की जानकारी होना आवश्यक है और कहती हैं कि लाल द्रव के भाँति दिखने वाले रक्त को अगर हम करीब से देखें तो यह भानुमति के पिटारे जैसा है। इस लाल द्रव के दो भाग होते हैं जो तरल भाग होता है उसे प्लाज़्मा और जो दूसरा भाग होता हैं उसे प्लेटलेट कहते हैं और यह प्लाज़्मा में तैरते रहते हैं। इसके बाद डॉक्टर दीदी ने सूक्ष्मदर्शी की सहायता से नीचे एक स्लाइड लगाकर अनिल को दिखाया, अनिल पहली बार मैं यह देखकर आश्चर्यचकित हो जाता है कि एक रक्त की छोटी-सी बूंद में इतने सारे कण कैसे हो सकते हैं। उसे ऐसा लगता है की किसी ने बहुत छोटी- छोटी सी बालूशाही रख दी हो। डॉक्टर दीदी उसे इस बारे में ज्ञान देती है कि लाल कण जो होते है वो बालूशाही की तरह ही होते हैं और एक रक्त की बूंद में इनकी संख्या लाखों करोड़ों में होती है।
इन्हीं के कारण यह रक्त लाल दिखाई देता हैं यह ऑक्सीजन को शरीर के विभिन्न हिस्सों तक पहुंचाने का काम करते हैं। इनका जीवन काल लगभग चार महीने तक होता है परंतु यह एक साथ नहीं धीरे-धीरे करके हमारे शरीर से नष्ट होती हैं। अनिल ये बात सुनकर कहता है कि इस तरह तो यह कण कुछ दिन में ही खत्म हो जाएंगे, अनिल की अनभिज्ञता को सुनकर डॉक्टर दीदी मुस्कराने लगती है और उसे बताती है की ये जिस प्रकार से नष्ट होते हैं उसी प्रकार से हर समय नए कण बनते भी रहते हैं। वह उसे बताती है कि हड्डियों के बीच के भाग में मज्जा रूपी ऐसे कारखाने है जो रक्त के निर्माण कार्य में लगे रहते हैं। इसलिए हड्डियों को स्वस्थ रखने के लिए प्रोटीन, तत्व और विटामिन की जरूरत होती है। इनके लिए एक व्यक्ति को हरी सब्जी, फल, अंडा, दूध विटामिन एवं गोस्त आदि तत्व उपयुक्त मात्रा में अपने भोजन में ग्रहण करने चाहिए। अगर व्यक्ति इन्हें उचित मात्रा में ग्रहण नहीं करेगा तो उसके शरीर में रक्त नहीं बन पायेगा और उसे एनीमिया की बीमारी हो जाएगी।
अनिल आगे पूछता है क्या केवल संतुलित आहार लेने से एनीमिया से हम बच सकते हैं? डॉक्टर दीदी उसका जवाब देती हैं कि एनीमिया के कई कारण हो सकते हैं लेकिन पौष्टिक आहार की कमी इसका सबसे बड़ा कारण होती है। वैसे तो पेट में कीड़े से भी एनीमिया का खतरा हो सकता है जो कि दूषित जल और खाद्य पदार्थों के जरिए शरीर में प्रवेश करते हैं । डॉक्टर दीदी उसे हिदायत देती है कि हमेशा हमें साफ जल और भोजन ग्रहण करना चाहिए और हमेशा अपने हाथ साफ रखना चाहिए और बहुत-सी प्रकार की सफाई के बारे में वह अनिल को ज्ञान देती है। अनिल यह सुनने के बाद कुछ देर सोच-विचार करता है उसके पश्चात वह सफेद कणों के विषय में भी डॉक्टर दीदी से बताने के लिए कहता है। डॉक्टर दीदी उसे बताती है कि जो सफेद कण होते हैं वो हमारे शरीर पर हमला करने वाले रोगाणुओं से हमारी रक्षा करते हैं। अगर शरीर में चोट लगी है और रक्त बह रहा हो तो यह रक्त जमाने की क्रिया का काम करते हैं डॉक्टर दीदी उसे प्लाज़्मा के बारे में बताती है । अनिल उत्सुकतावश आगे पूछता है कि लेकिन अगर घाव गहरा हो और रक्त का बहना ना रुके तब? डॉक्टर दीदी उसे बताती है कि अगर इतनी बुरी हालत हों तब ऐसी स्थिति में रोगी को डॉक्टर के पास जाना चाहिए और उसे टाँके लगाना चाहिए कभी-कभी रक्तस्राव ज्यादा हो जाने पर शरीर में रक्त की कमी होने पर रक्त चढ़ाना भी पड़ सकता है । अनिल फिर से पूछता है कि ऐसे वक्त में क्या किसी और व्यक्ति का भी खून काम आ सकता है? डॉक्टर दीदी उसे बताती है कि सभी का रक्त एक जैसा तो नहीं होता लेकिन अगर कोई सामान रक्त वाला हो तो हम रक्त चढ़ा सकते हैं ।
डॉक्टर दीदी उसे आपात स्थिति के लिए बनाए गए ब्लड बैंक के बारे में बताती है कि अगर हमें तुरंत समय पर किसी का ब्लड ना मिल सके तो ब्लड बैंक में रक्त का भंडार सुरक्षित रहता है। वह अनिल को समय-समय पर रक्तदान करने के लिए कहती है ताकि कभी किसी के साथ ऐसा हो तो उसकी सहायता हो सके। अनिल दीदी से पूछता है कि रक्तदान कब और कैसे किया जाता है तो डॉक्टर दीदी ने उसे बताया कि 18 वर्ष से अधिक उम्र के स्वस्थ व्यक्ति रक्तदान कर सकते हैं और एक स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में से 300 मिलीलीटर रक्त ही लिया जाता है । डॉक्टर दीदी से बताती हैं कि रक्तदान से हमारे शरीर में कोई कमी नहीं होती और हर मनुष्य के शरीर में पांच लीटर रक्त होता है और स्वस्थ व्यक्ति का शरीर रक्त बनाने में सक्षम होता है। यह सब बातें सुनकर अनिल प्रफुल्लित हो जाता है और वो डॉक्टर दीदी से कहता है कि वह भी जब 18 वर्ष से अधिक आयु का होगा तो नियमित रूप से रक्तदान करेगा ताकि किसी को आपातकालीन स्थिति में उसका रक्त काम आ सकें। डॉक्टर दीदी इस बात पर उसकी भूरी-भूरी प्रशंसा करती हैं ।
Talk to our expert